संघर्ष ही स्वभाव है
यथार्थ की तलाश में ||ध्रु||
यामिनी से लढ रहा
दिया हूँ मैं जो भीड़ गया |
फडफड़ स्वीकार है
मारुत का डर हैं क्या? ||१||
बाण से मैं क्या डरु
कर्ण का ये वक्ष है |
प्रहार कर तू मगर
हार तेरा भाग्य है ||२||
मैं उच्च हूँ, मैं नीच हूँ
हूँ जहाँ भी ठीक हूँ |
लढ रहा अंजान से
स्वर्ग या पाताल में ||३||
संघर्ष ही स्वभाव है
यथार्थ की तलाश में ||
Meanings:
1) यथार्थ –उचित, सत्य;
2) यामिनी – रात, निशा;
३) मारुत – वायु, हवा;
४) वक्ष – छाती
2) यामिनी – रात, निशा;
३) मारुत – वायु, हवा;
४) वक्ष – छाती
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